गोंदिया में वेस्ट वाटर ट्रिटमेंट प्लांट

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गोंदिया,19 जनवरीः-  दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के नागपुर मंडल पर मुबंई – हावड़ा मेन लाईन पर नागपुर से 130 किमी पर स्थित गोंदिया एक मुख्य जंक्शन है । कई महत्वपूर्ण गाडियां जैसे महाराष्ट्र एक्सप्रेस, विदर्भ एक्सप्रेस, जनशताब्दी एक्सप्रेस और पैंसेजर गाडियों का प्रस्थान एवं गतंव्य स्टेशन होने के कारण यह नागपुर मंडल का व्यस्ततम रेलवे स्टेशन है । यहां पर एक कोचिंग अनुरक्षण डिपो है जहां पर कोचेस की साफ-सफाई, धुलाई और अनुरक्षण का कार्य किया जाता है । इसके अतिरिक्त गोंदिया में 700 रेल आवास है एवं प्राथमित स्वास्थ्य केन्द्र, रनिंग रुम, रेलवे सुरक्षा बल का बैरेक, गुड्स शेड, डेमू शेड, आईओएच शेड, 140टी क्रेन शेड इत्यादि बहुत सारे रेल के कार्यालय स्थित है । यहां पर 22.24 लाख लिटर फिल्टर पानी और 7.00 लाख लिटर कच्चा पानी की मांग है ।

गोंदिया में बाघ नदी ही केवल पानी का एक मात्र स्त्रोत है जो गोंदिया से 18 किमी दूरी पर है एवं विविध उपभोक्तओं को ट्रिटमेंट कर पाईप लाईन के माध्यम से पानी की आपूर्ति की जाती है । पानी ता एक मुख्य उपभोक्ता कोचिंग डिपो है जहां पर कच्चे पानी की जगह फिल्टर पानी का उपयोग कोचेस की क्लीनिंग और धुलाई के लिए किया जाता है ।इसी बढती मांग को देखते हुए एवं लागत को घटाने और पानी की बचत करने के लिए एक रिसायकलिंग प्लांट के निर्माण की आवश्यकता है जो पिट लाईन और अन्य स्त्रोतों के खराब पानी का
उपयोग कर सकेगा । इस रिसायकल किए हुए पानी का उपयोग कोचों के बाहरी और भीतरी सफाई और स्टेशन यार्ड में एप्रॉन वाशिंग के लिए किया जा सकता है । इसके लिए 0.5 एमएलडी की क्षमता का रु 1,64,74,589/- की सीमित लागत से वाटर रिसायकलिंग प्लांट का निर्माण किया गया है एवं 05 जून 2017 को शुरु किया गया है । यह प्लांट कोचिंग डिपो गोंदिया के पिट लाईन में गाडियों के साफ-सफाई की जरुरत को पूरा कर रहा है और प्रतिदिन 150000 लीटर का रिसायकलिंग पानी प्रतिदिन सप्लाई कर रहा है (प्रतिवर्ष 54 करोड) जिससे प्रतिदिन रु. 21000/- की बचत हो रही है (प्रतिवर्ष 75,60,000) । पानी सप्लाई क्वालिटी से जुडी सभी मानदंडो को यह रिसायकल पानी पूरा कर रहा है जिसमें क्लोरिनाजेशन सुनिश्चित करना रेलवे स्वास्थ्य विभाग द्वारा पानी सैंपलों की नियमित जांच शामिल है । इसलिए यह वाटर रिसायकलिंग प्लांट बहुमूल्य पानी की बचत के साथ
पानी सप्लाई पर खर्च कम हो रहा है और इससे पर्यावरण बचाने में भी योगदान हो रहा है ।