पर्यावरण संरक्षण और मानव सुरक्षा के लिए संकल्प करें-श्रीश्री रविशंकर

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बालाघाट। पर्यावरण के संरक्षण और मानव सुरक्षा के मूल मंत्र को किसान जानेंगे तो सेहत सुधरेगी और उन्‍नति होगी। लेकिन यह तभी संभव होगा जब किसान ऋ षि-कृषि को अपनाएगा।यह बात बालाघाट में आयोजित तीन दिवसीय जैविक-आध्यात्मिक किसान सम्मेलन में तीन राज्यों से पहुंचे किसानों को संबोधित करते हुए आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने कृषि और अध्यात्म के संबंध पर प्रकाश डालते हुए कही। श्री श्री ने किसानों को ऋ षि-कृषि का अर्थ बताया।उन्होंने किसानों को जैविक-आध्यात्मिक कृषि को अपनाने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि ऋ षि अर्थात ज्ञानदाता, कृषि अर्थात अन्न्दाता। दोनों ही एक दूसरे के पर्याय और पूरक हैं। मानव के कल्याण और प्रगति के लिए जितना जरूरी ज्ञान है, उतना ही अन्न् भी है। अच्छा ज्ञान भी जरूरी है और अच्छा अन्न् भी।

श्री श्री रविशंकर ने किसानों को बताया कि भारत ऋ षि-कृषि का देश है। जैविक कृषि के लिए किसान जीरो फॉर्मिंग से इसे शुरू करें। इसके पूर्व राज्य स्तरीय किसान सम्मेलन का शुभारंभ स्थानीय उत्कृष्ट स्कूल के खेल मैदान में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, छग के सीएम डॉ. रमन सिंह, श्री श्री रविशंकर, कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन व राजयोगिनी सरला बहन ने किया। सभी ने पहले गौ-पूजन व कन्या पूजन किया।

श्री श्री रविशंकर ने उनसे सीधा संवाद करते हुए बीज की गुणवत्ता से बेहतर उत्पादन करने की बात कही है। इसके लिए उन्होंने किसानों को प्रेरित करते हुए कहा कि बिना उपचार बीज का उपयोग करने से फसलों पर कीट व्याधि बढ़ती है, लेकिन रोगी बीज को निकालकर ही गुणवत्ता युक्त बीज खेत में डाला जाए तो फसल में रोग और कीट लगने की प्रारंभिक संभावनाएं कम हो जाती हैं। मामूली कीट रोग पर नियंत्रण आसान होता है। साथ शंकर बीज से बेहतर उत्पादन किया जाना संभव होता है।लगातार फसलों में रासायनिक खाद के उपयोग से खेती दम तोड़ रही है और लगातार नुकसान से किसान हीन मानसिकता का शिकार होकर दम तोड़ रहे हैं।जैविक कृषि से पर्यावरण सुरक्षा के उपाय और योग आध्यात्म से किसानों का मनोबल मजबूत कर आत्म हत्या की प्रवृति का खत्म करना है।

छत्तीसगड के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा की आज के युग में हमें फिर से जैविक खेती को बढ़ावा देना चाहिए। यह आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है। जैविक खेती की पैदावार पौष्टिकता और शुद्धता की दृष्टि से भी काफी उपयोगी होती है। इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में इस दिशा में अनेक कदम उठाए गए हैं और प्रदेश के पांच जिलों को जैविक जिला घोषित किया गया है।  डॉ. रमन सिंह ने तीन दिवसीय जैविक आध्यात्मिक कृषक सम्मेलन को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि इसका लाभ मध्यप्रदेश के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के किसानों को भी मिलेगा। उन्होंने कहा कि अध्यात्मिक गुरू रविशंकर जी के मार्गदर्शन में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैविक खेती की दिशा में अग्रणी राज्य बनेंगे।