पोवार समाज को ओबीसी में लाने का संघर्ष करने वाले कर्मयोगियों को हमने खो दिया

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गोंदिया(बेरार टाईम्स विशेष) -ःमहाराष्ट्र और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में बहुसंख्यक रूप में फैले तथा ग्रामीण भागों में खेती व्यवसाय से जुड़े पोवार (पवार) समाज को सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक क्षेत्रों में मजबूती प्रदान कर उन्हें समाज की मुख्य धरा में लाने के लिए भारतीय संविधान की धारा ३४० में दिये गए संवैधानिक अधिकारों के तहत पवार समाज को उनका संवैधानिक हक्क दिलाने हेतू समाज के पुरोधा, कर्मयोगी अ‍ॅड. पी.सी. बोपचे एंव पुर्व सांसद केशवराव पारधी इनकी सराहनीय एवं संघर्षशील भूमिका रही है।
उन्होंने समाज को विकसित करने हेतू जरूरतों पर लक्ष्य केन्द्रीत कर मंडल आयोगस मे पिछडी जातियो का समावेश करने हेतू की सुनवाई जब नागपुर में हुई तब समाज की परिस्थिती का आकलन आकड़ेवारी सहित विस्तृत रूप से आयोग के समक्ष रखकर पोवार(पवार) समाज को ओबीसी में समाविष्ट करने हेतू निवेदन देकर पुरजोर मांग उठायी थी। यह पहली बार ऐसा था जब एड बोपचे जैसे कर्मयोगी ने अपने समाज के शिष्टमंडल के साथ इस मांग को पहली बार उठाकर उसे ओबीसी में समाविष्ट करने का मामला आयोग के समक्ष रखा था।
पी.सी. बोपचे एवं शिष्टमंडल द्वारा आयोग के समक्ष निवेदन प्रस्तुत करने के पश्चात उन्होंंने समाज के हक के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से भेंट कर, समाज का मसला उनके समक्ष रखने का विचार किया था। परंतुं उन्हें एहसास था कि यहां कुछ होने वाला नहीं। इसी परिस्थिती में वे तत्कालीन भंडारा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के सांसद केशवराव पारधी से मिले और उनके समक्ष इस मसले को रख मुद्दे को मजबूती प्रदान की।
आज ये दोनो कर्मयोगी पुरोधा आज हमारे बीच नहीं रहे। हमें ताउम्र उनके संघर्षशील सामाजिक जीवन के साथ उनकी कमी खलती रहेगी। पवार समाज को मंडल आयोग की शिफारिशे लागू करने के लिए बाध्य करने वाले दोनो कर्मयोगीयों का निधन जुलाई माह में ही होना एक योगा-योग है। ऐसे समाज सेवक कर्मयोगियों के जीवन पर प्रकाश डालने हेतू बेरार टाइम्स ने कुछ समीक्षा अपने शब्दों से प्रस्तुत की।
वर्ष १९८४ के काल में सामाजिक क्षेत्र में अग्रसर भूमिका निभाने वाले एड. पी.सी.बोपचे ने अपने सहयोगी समाज बंधुओं को साथ लेकर पोवार (पवार) समाज को ओबीसी की मुख्यधरा में लाने के लिए तथा मंडल आयोग की शिफारिश का लाभ दिलाने हेतू पुरजोर तरीके से इस मसले को उठाया और तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. इंदिरागांधी से मुलाकात करने हेतू तत्कालीन सांसद केशवराव पारधी से दिल्ली में समाज के ११ सदस्यों के शिष्टमंडल ने उनसे भेंट की।
सांसद केशवराव पारधी ने समाज की सभी संवैधानिक अधिकारों वाली मांगों का संज्ञान लिया तथा इस मामले को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी समक्ष रखने का निर्णय लिया। सांसद पारधी के इंदिरागांधी से मुलाकात करने के बाद इंदिरागांधी ने पवार समाज के शिष्टमंडल से भेंट करने की हामी भरी व ओबीसी प्रवर्ग में पोवार, पवार समाज को समाविष्ट करने के निवेदन को स्विकार कर उस पर चर्चा की।
इस शिष्टमंडल में एड. पी.सी. बोपचे, डॉ. खुशाल बोपचे, एड. पी.के. रहांगडाले, एच.एस. रहांगडाले, स्व. डा. हिरामण रहांगडाले, आनंदरावजी बोपचे व चुन्नीलाल ठाकुर जैसे ११ समाजसेवकों का समावेश था। समाज में ये टीम उस अवस्था में मंडल आयोग के लिए कार्य कर रही थी।
आज उन्होंने १९८४ के काल में जो कार्य किए उन कार्यो को आत्मसात कर उस पथ पर चलने की गरज समाज को है। उन्होंने समाज को मंडल आयोग की शिफारशों का लाभ दिलाने हेतू जो लड़ाई और संघर्ष किया आज उसी का प्रतिफल है कि ओबीसी के आंदोलन में पोवार, पवार समाज के लोगों का सहयोग उनके संघर्ष से प्राप्त एक दिशात्मक कार्यो का आलेख कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा।
समाज के लिए लडने वाले ऐसे कर्मयोगी समाजसेवी एड. पी.सी बोपचे ने १८ जुलाई २०१८ को भंडारा स्थित निवास में तथा २९ जुलाई २०१८ को पूर्व सांसद केशवराव पारधी ने तुमसर स्थिम निवास में अंतिम सांस लेकर मोक्ष की प्राप्ती की।
तत्कालीन सी.पी. एंड बेरार राज्य जो आज के मध्यप्रदेश में बालाघाट जिले के वारासिवनी तहसील के घोटी गांव में १ जुलाई १९३० को जन्में पी.सी. बोपचे की शुरूआत की पढ़ाई कक्षा १ से ७वीं तक मध्यप्रदेश के लालबर्रा में हुई। इसके बाद उन्होंने गोंदिया में १०वीं तक शिक्षा ग्रहण की। उन्होंने लॉ में ग्रेज्युएट, कला शाखा हिंदी माध्यम में पोस्ट ग्रेज्युएशन शिक्षा, राज्यशास्त्र में पोस्ट ग्रेज्युएशन शिक्षण, हिंदी साहित्य रत्न में मास्टर ऑफ डिग्री जैसे अनेक विषयों पर पदवी प्राप्त कर उस शिक्षा से समाज को नई राह दिखाने, समाज के लिए संर्घष करने हेतू शिक्षक की नौकरी करने वाले कर्मयोगी एड. पी.सी.बोपचे आज हमें प्रगतिशील मार्ग पर छोडक़र चले गए है। समाज की नई युवा पीढ़ी को ऐसे सामाजिक पुरोधा की जानकारी और उनके संघर्षशील कार्य की जिवनी के बारे में याद कराना हमारा कर्तव्य है।
तत्कालीन सांसद केशवराव पारधी से जब पोवार पवार समाज का शिष्टमंडल उनसे भेंट कर समाज को ओबीसी में समाविष्ट करने हेतू तथा मंडल आयोग की शिफारिश लागू करने हेतू तत्कालीन प्रधानमंत्री से मुलाकात के लिए सांसद पारधी से मिला था। उस समय सांसद पारधी ने इंदिरा गांधी से घनिष्ठ संबंधों के चलते फोन पर बात करते हुए शिष्टमंडल से मुलाकात हेतू समय मांगा था जिसे इंदिरागांधी ने सहज स्वीकार्य किया था। इस बात से यह बात पुख्ता होती है कि प्रधानमंत्री के समक्ष केशवराव पारधी का एक जबर्दस्त वजन था जो उन्होंने दिखलाया।
पोवार-पवार समाज को ओबीसी की यादी में स्थान दिलाकर उसे संवैधानिक अधिकार प्राप्त हो इसके लिए बोपचे द्वारा किए गए कार्यो की ज्योत तब तक जलाए रखने की गरज है जब तक समाज को उसका सही अधिकार पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं होता।बोपचे ने १९७९-८० के काल में पोवार समाज महासंघ भंडारा की स्थापना की थी। उस समयाकाल में मात्र ७ से ८ घर भंडारा जिला मुख्यालय में पोवार समाज के हुुआ करते थे। सेवा से शिक्षक रहते हुए उनका नाम भंडारा-गोंदिया जिले में चर्चा में रहा। चंद्रपुर जिले के वरोरा में जनता विद्यालय में व्याख्याता के रूप में कार्य किया। वे उपशिक्षणाधिकारी के पद पर भी रहे। अपने शासकीय सेवा काल में सभी को समान अधिकार और संधी मिले, न्याय पर कार्य करते रहे।
जुलाई १९८९ में सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने अपने उम्र के ३५ वे वर्ष से ६० साल तक की उम्र तक वर्धा स्थित महात्मागांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विद्यापीठ के माध्यम से हिंदी राष्ट्रभाषा का प्रचार जोरो से किया। उनके कार्यो से खुश होकर केंद्र सरकार ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार से भी नवाजा था। विशेष यह कि बोपचे ने कविता लेखन के साथ संगीत से भी नाता जोड़ा। नाटकों में अपनी भूमिका भी दर्शायी। वे पुरोगामी विचारों के पुरोधा थे जिन्होंने कभी लडक़े और लड़कियों में भेदभाव नहीं समझा।एड. बोपचे का १८ जुलाई को निधन हो गया। उनका १९जुलाई को भंडारा स्थित वैनगंगा नदी घाट मोक्षधाम पर अंतिम संस्कार किया गया।