भोपाल। वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ मध्य प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री हो सकते हैं। यहां विधायक दल की बैठक में कमलनाथ को नेता चुन लिया गया। हालांकि इस फैसले को मंजूरी के लिए कांग्रेस आलाकमान को भेजा जाएगा। इसके बाद कमलनाथ के चुने जाने की औपचारिक घोषणा की जाएगी।
बैठक के बाद कांग्रेस की मीडिया प्रवक्ता शोभा ओझा ने बताया कि सीएम के चेहरे का फैसला आलाकमान करेगा। बैठक में वरिष्ठ नेताओं ने इस बारे में पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को इस बारे में निर्णय लेने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि विधायकों से इस बारे में गहन चर्चा की गई है। कमलनाथ का निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया है और इस निर्णय से राहुल गांधी को अवगत कराया जाएगा। इसके बाद सब कुछ तय होगा। आरिफ अकील ने इस बारे में प्रस्ताव रखा था।अपना नेता चुनने के लिए कांग्रेस के विधायकों ने देर शाम यहां यहां बैठक की। बैठक में भाग लेने के लिए कांग्रेस के सभी निर्वाचित विधायकों के साथ वरिष्ठ नेता और केंद्रीय पर्यवेक्षक एके एंटनी यहां पहुंचे। पार्टी के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया,कांतिलाल भूरिया, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी इस बैठक में मौजूद थे।
कमलनाथ के बारे में…
कमलनाथ का जन्म 18 नवम्बर 1946 को उत्तर प्रदेश के औद्योगिक शहर कानपुर में हुआ था। देहरादून के दून स्कूल से पढ़ाई करने के बाद कमलनाथ ने कोलकाता के सेंट ज़ेवियर कॉलेज से उच्च शिक्षा हासिल की। कमलनाथ 34 साल की उम्र में छिंदवाड़ा से जीत कर पहली बार लोकसभा पहुंचे थे।नौ बार सांसद रह चुके कमलनाथ के नेतृत्व में इस बार कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ा और सबसे बड़े दल के रुप में उभरी। आदिवासी इलाके छिंदवाड़ा में कमलनाथ ने आदिवासियों के उत्थान के लिए कई काम किए हैं। कमलनाथ कांग्रेस के कार्यकाल में वे उद्योग मंत्रालय, कपड़ा मंत्रालय, वन और पर्यावरण मंत्रालय, सड़क और परिवहन मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।
विधानसभा चुनावों में सबसे नजदीकी मुकाबला मध्य प्रदेश में रहा, जहां बीजेपी और कांग्रेस में कांटे की टक्कर रही। राज्य की कुल 230 सीटों में कांग्रेस ने 114, जबकि बीजेपी ने 109 सीटें जीतीं। बीएसपी को राज्य में 2, एसपी को 1 और निर्दलीय उम्मीदवारों को 4 सीटें मिली हैं। वैसे तो आए नतीजों में कांग्रेस और बीजेपी के बीच केवल 5 सीटों का अंतर रहा, लेकिन अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि नोटा ने कई सीटों पर नतीजे तय करने में अहम भूमिका निभाई है। मध्य प्रदेश में कम से कम 20 सीटें ऐसी हैं जहां नोटा ने प्रत्याशियों का खेल बिगाड़ा है। इन सीटों पर विजेता और दूसरे नंबर पर रहे प्रत्याशियों के बीच वोटों का अंतर नोटा को मिले वोट से भी कम है। यानी, इन सीटों पर नोटा के वोट अगर दूसरे नंबर पर रहे उम्मीदवारों को मिले होते तो नतीजे पूरी तरह से बदल सकते थे।