महिलाओं को संगठित होने की जरुरत: बेदरकर

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गोंदिया,18 मार्चःःआज महिलाएं हर उस मुकाम पर पहुंच रही है जहां पहुंचना आसान नहीं है। लेकिन समाज में आज भी कई ऐसे लोग है जो महिलाओं को दबाने की कोशिश करते हैं। महिलाएं भी उनसे घबराते हुए चुप बैठी रहती है। लेकिन महिलाओं के हाथों में बहुत ताकत है। महिलाएं संगठित हुई तो कोई उनकी आवाज को नहीं दबा पाएगा। उक्ताशय के विचार सामाजिक कार्यकर्ता सविता बेदरकर ने महिला मंडल श्रीनगर की ओर से योगेश रोकड़े के घर के सामने महिला दिन को लेकर १६ मार्च की शाम आयोजित एक कार्यक्रम में व्यक्त किए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता पार्षद निर्मला मिश्रा ने की। मंच पर बतौर प्रमुख अतिथि के रूप में जोत्सना शहारे, सविता बेदरकर, कुंदा दोनोड़े, आशा पाटील, माधुरी नासरे, रेखा भरने उपस्थित थे।
इस अवसर पर अध्यक्ष स्थान से मिश्रा ने कहा कि महिलाओं को आत्मनिर्भर होने की आवश्यकता है। पहले के जमाने में महिलाएं सिर्फ चूल्हा और बच्चा तक ही सीमित रहती थीं। उन्हें न तो पढऩे भेजा जाता था और न ही घर के बाहर निकलने दिया जाता था। लेकिन आज महिलाएं हर क्षेत्र में सफलता हासिल कर रही है। सावित्रीबाई फुले ने महिला अधिकारों एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए हैं। वे प्रथम महिला शिक्षिका थी। उन्हीं की बदोलत आज महिलाओं को शिक्षा का अधिकार प्राप्त हुआ है।
इस समय बड़ी संख्या में उपस्थित महिलाओं को संबोधित करते हुए कुंदा दोनोड़े ने कहा कि महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही है। महिलाओं को कोई भी कार्य करते समय घबराना नहीं चाहिए। कार्यक्रम के दौरान अन्य उपस्थितों ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस समय पुलवामा में शहीद हुए ४४ जवानों को श्रद्धांजलि भी दी गई।
कार्यक्रम में महिलाओं को मासिक धर्म के बारे में जानकारी दी गई। साथ ही उन्हें मासिक धर्म के दौरान कौनसी सावधानी बरतनी चाहिए, किन आवश्यक बातों पर अमल करना चाहिए। इसकी जानकारी दी गई। कार्यक्रम में परिसर के नन्हें बच्चों ने माँ, बेटी एवं बहु पर एक लघु नृत्य प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया। कार्यक्रम का संचालन दिव्या आंबेडारे, आलोक पवार ने तथा आभार प्रदर्शन कल्पना शुक्ला ने माना। कार्यक्रम की सफलता के लिए आयोजक रुपाली रोकड़े, भाग्यश्री आंबेडारे, वंदना बावनकर, अश्विनी पिसे, ममता खाड़े, लीला ढोमणे, चिनु रोकड़े, मोनू आंबेडारे, आचल रोकड़े, कोमल राऊत, श्रेया राऊत, गीता राऊत, स्वाती पवार, वर्षा रोकड़े आदि ने अथक प्रयास किया।