मालेगांव केस की पूर्व सरकारी वकील का खुलासा:शहीद करकरे पर आरोप ‘घटिया हरकत’

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नई दिल्ली(न्युजएजंसी): मालेगांव ब्लास्ट केस में एक पूर्व सरकारी वकील ने बीजेपी नेता प्रज्ञा ठाकुर को यह दावा करने के लिए फटकार लगाई कि उन्हें 26/11 के हीरो हेमंत करकरे की अगुवाई वाली टीम द्वारा जांच के दौरान प्रताड़ित किया गया था. दो दिन पहले, 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के दौरान आतंकवादियों की फायरिंग में शहीद हुए पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे को लेकर मालेगांव ब्लास्ट की आरोपी प्रज्ञा ठाकुर ने विवादित बयान दिया था. प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि उन्होंने शहीद करकरे को शाप दिया था, जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई. प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि ‘हेमंत करकरे राष्ट्रविरोधी थे. वह धर्म के विरुद्ध (धर्म-विरोधी) थे. आप इस बात पर विश्वास नहीं करेंगे, लेकिन मैंने कहा था कि ‘तुम्हारा सर्वनाश होगा’. इसके तुरंत बाद, आतंकवादियों ने उन्हें गोली मार दी.

इस केस की पूर्व सरकारी वकील रोहिणी साल्यान ने स्पष्ट किया कि प्रज्ञा ठाकुर को यातना देने या अवैध हिरासत में रखने का कोर्ट को कोई सबूत नहीं मिला. मैंने कभी सुना नहीं कि एक साध्वी ने शाप दिया और कोई शख्स मर गया. ये टिप्पणियां (हेमंत करकरे के खिलाफ) अनुचित और बिना सोचे समझे हैं. मुझे लगता है कि वह प्रचार के लिए ऐसा कर रही हैं क्योंकि वह चुनाव लड़ रही हैं. इस तरह की अवांछित टिप्पणियां घटिया हैं. पूर्व वकील सलियन ने प्वाइंट आउट किया कि कोर्ट ने प्रज्ञा ठाकुर के मामले में यातना या अवैध हिरासत का कोई सबूत नहीं पाया था. इसलिए उन्होंने (अभियुक्त) ने उच्च न्यायालय में फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें मेडिकल रिपोर्ट सहित सभी रिकॉर्ड थे, मगर इसके बाद भी उनकी याचिका खारिज कर दी गई.

पूर्व वकील रोहिणी साल्यान ने भाजपा के इस आरोप को भी खारिज कर दिया कि उसके भोपाल के उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा को पिछली कांग्रेस सरकार ने फंसाया था. उन्होंने कहा कि ‘दोनों अभियुक्तों को आखिरी बार भोपाल में प्रज्ञा ठाकुर के साथ देखा गया थ, इस बात के भी सबूत हैं. साध्वी प्रज्ञा का वाहन (एक स्कूटर) उसी परिसर में पड़ा हुआ था, जहां वे रह रहे थे. अंत में, इस स्कूटर को ब्लास्ट की जगह पर ले जाया गया और वहां इस्तेमाल किया गया. सरकारी वकील ने कहा कि उन्होंने 2015 में इस मामले से खुद को अलग कर लिया, क्योंकि राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने उन पर इस केस को सॉफ्ट करने का दबाव डालना शुरू कर दिया था. तब तक, मैं अदालत में अपने कानूनी कर्तव्यों को पूरा करने के लिए स्वतंत्र थी. हालांकि, ऐसी परिस्थितियों में काम करना मुश्किल था. ने कहा कि वह आतंकवादी हमलों के दिन हेमंत करकरे से मिलने वाली अंतिम व्यक्ति थीं. उन्होंने कहा कि मैं आज केवल एक उद्देश्य के लिए बोल रही हूं, क्योंकि मैं वीर पुलिस अधिकारियों को बदनाम नहीं होने दे सकती.