कटंगी में नए तरीके से तैयार की जा रही ‘वाटर बैंक

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धान की बंधियो से बहने वाला वेस्टेज पानी कुओं में किया जा रहा संग्रहित

गोरेगाव,9 अगस्तः-दिनों दिन बारिश कम होते जा रही है। जिससे भूगर्भ का जलस्तर नीचे खिसक गया है। लातुर जैसी स्थिति गोंदिया जिले में निर्माण न हो, इसके लिए जल संकट पर नियंत्रण पाने हेतु गोरेगांव तहसील के कटंगी बु. के एक किसान द्वारा नए तरीके से वाटर बैंक तैयार किया जा रहा है। धान फसल से लगी बंदियों से बहने वाला वेस्टेज पानी खाली कुओं में सग्रहित किया जा रहा है। डेमेंद्र रहांगडाले नामक प्रगतिशील किसान ने इस तरह का प्रयोग शुरु कर जिले का वाटर लेवल बढ़ाने का बीड़ा उठाया है। इसके लिए जनजागृति हेतु स्वयं के खेत से कार्य शुरु कर दिया है। जिसकी प्रेरणा परिसर के किसानों ने भी अपनाई है।
गत पांच वर्षों से जिले में अल्प बारिश हो रही है। पानी का संकट गहराते जा रहा है। तालाबों का जिला कहे जाना वाला गोंदिया जिला ही पानी के लिए अब तरस रहा है। एक पानी के लिए हाथ में आई फसल नष्ट हो रही है। किसानों को प्रतीक्षा रहती है कि अच्छी बारिश हो और धान की फसल बंपर पैदा हो। किंतु उनकी प्रतीक्षा पूरी नहीं हो पाती। जिले में १३०० किमी औसतन बारिश की आवश्यकता होती है। किंतु गत पांच वर्षों में १०० प्रतिशत बारिश नहीं हो सकी है। जल संकट निर्माण होने से भूगर्भ का जलस्तर काफी नीचे चला गया है। भविष्य में लातुर जैसी स्थिति जिले पर न आए, इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए तथा जल संकट पर नियंत्रण पाने के लिए गोरेगांव तहसील के कटंगी बु. निवासी प्रगतिशील किसान डेमेंद्र रहांगडाले ने वाटर बैंक तैयार करने की नई तकनीक ढुंड निकाली गई। उनके खेत से बहने वाला पानी अब खाली कुओं में पाइप के माध्यम से संग्रहित किया जा रहा है। बंदियों में पाइप डालकर पानी पाइप के माध्यम से ३० फीट गहरे कुएं में संग्रहित किया जा रहा है। इस तरह के नए प्रयोग को देखते हुए अन्य किसान भी प्रभावित होकर वे भी अपने खेतों के कुओं में पानी संग्रहित करने लग गए हैं। यदि इसी तरह सभी किसानों ने प्रयोग को अपनाया तो निश्चित तौर पर गोंदिया जिला टैंकरमुक्त होकर सुजलाम सुफलाम होगा।
२ लाख लीटर पानी होगा संग्रहित
किसान डेमेंद्र रहांगडाले ने जानकारी देते हुए बताया कि यदि लगातार ४ से ५ दिनों तक रिमझिम बारिश होती रही तो, ४ दिनों में ही खेती से बहने वाला वेस्टेज पानी सीधे ३ फीट गहरे कुएं में संग्रहित किया जाएगा। जिसमें लगभग २ लाख लीटर पानी संग्रहित होगा। इससे परिसर का वाटर लेवल ग्रीष्मकाल में भी बना रहेगा।