गोंदिया। शिक्षा ही वो बुनियाद है जिससे विकसित राष्ट्र की परिकल्पना की जा सकती है। जो छात्र-छात्राएं आज अपने होसलों और अथक परिश्रम से शिक्षा में प्रावीण्यता प्राप्त कर जिले का नाम रोशन कर रहे है, कल वे भविष्य के निर्माता और उज्ज्वल भारत के स्तम्भ होंगे। उक्त आशय के उद्गार जिल्हा ग्रंथालय अधिकारी अरविंद ढोणे ने व्यक्त किया।
वे 23 फरवरी को गोंदिया शहर की ख्यातिनाम आजाद लायब्रेरी सार्वजनिक वाचनालय में मौलाना अबुल कलाम आजाद की 62वी पुण्यतिथि निमित्त आयोजित आजाद टॉपर सत्कार समारोह में उपस्थित गुनवंत विद्यार्थियों को एवं उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए बोले रहे थे।
इस अवसर पर समारोह में प्रमुख अतिथि के तौर पर जिला ग्रंथालय अधिकारी अरविंद ढोने, प्रखर समाज सेविका सविताताई बेदरकर, मुस्लिम जमात गोंदिया के अध्यक्ष ख़ालिदभाई पठान, गुजराती जूनियर कॉलेज की प्राचार्य रिजवाना अहमद, अदानी विद्युत कंपनी के कॉर्पोरेट संचार सहायक प्रबंधक पीयूष दिगावकर, डॉ. हरिनारायण चौरसिया, डीबी साइंस कॉलेज की प्रा. रानी शकील अहमद, कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रा. डॉ. शफीउल्ला खान, आजाद लाइब्रेरी के अध्यक्ष हाजी अब्दुल जब्बार खान जिलानी, सचिव हाजी जफर खान सर, मेहताब खान आदि प्रमुखता से उपस्थित थे।
जिल्हा ग्रन्थालय अधिकारी श्री ढोणे ने आगे बच्चों को शिक्षा में लाइब्रेरी की महत्ता को बताकर साहित्य पर भी जोर देने को कहा। उन्होंने लाइब्रेरी पर जोर देते कहा कि, मौलाना अबुल कलाम आजाद ने शिक्षा मंत्री रहते कई कॉलेज, यूनिवर्सिटी और वाचनालयों को प्रारम्भ करवाया। हम लाइब्रेरी में एकाग्रता और शांत मन से वाचन कर अपनी शिक्षा में बेहतर सहयोग प्राप्त होने की अनुभूति प्राप्त कर सकते है।
प्रखर समाज सेविका सविताताई बेदरकर ने होनहार बच्चों को सम्बोधित करते हुए कहा, शिक्षा वो शेरनी का दूध है, जो पीयेगा वो बढ़ेगा। पड़ेगा इंडिया तो बढ़ेगा इंडिया। श्रीमती बेदरकर ने एक कहानी स्वरूप ये सिख दी कि हमें पेड़ के पत्तो, कलियों और फूलो को पानी देने की बजाय जड़ो को पानी देने की जरूरत है। ये जड़े ही है जिससे आगे वो पढ़ लिखकर हराभरा पेड़ बनता है। नही तो सुख जाता है। पूर्व प्राध्यापक डॉ. हरिनारायण चौरसिया ने कहा कि कॉलेजो में लाइब्रेरी की शुरुआत मौलाना आजाद के माध्यम से शुरू हुई। उन्ही के प्रयासों से लाइब्रेरी को केंद्र शासन से अनुदान प्राप्त हुवा। आज उनके कार्य अविस्मरणीय है।
गुजराती जूनियर कॉलेज की प्राचार्या रिजवाना अहमद ने बच्चों में उनकी दिमागी बुद्धिमत्ता को कैसे बढ़ाया जा सकता है पर ध्यानकेन्द्रित किया और लाइब्रेरी शिक्षा के लिए कितनी महत्वपूर्ण है इसे अपने अनुभव के माध्यम से बताया। उन्होंने ये भी कहा कि शिक्षा की कोई उम्र नही। हमें शिक्षा हर स्तिथि में पूरी करनी चाहिए जिसे करने का हमारा संकल्प है।
कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. शफीउल्ला खान सर ने मौलाना आजाद की जीवनी पर प्रकाश डालकर उनके कार्यो और इतिहास को दोहराया वही पूर्व प्राध्यापक जफर खान सर ने आजाद लाइब्रेरी की प्रस्तावना पढ़कर लाइब्रेरी क्यों जरूरी है इसका महत्व बताया। इसके साथ ही मुस्लिम जमात के अध्यक्ष ख़ालिदभाई पठान ने बच्चों को सिख दी कि, हमे शिक्षा प्राप्त कर अपने आदर्शों को कभी नही भूलना चाहिए। आज समाज मे ऐसा भी दौर है कि माँ-बाप वृद्धाश्रम में दिन गुजार रहे है। मेहताब भाई ने बच्चों की प्रावीण्यता पर बधाई दी और ऐसे बच्चे जो महंगी किताबे नही खरीद सकते उन लोगो को लाइब्रेरी में आकर पढ़ने हेतु प्रोत्साहित किया और जिन बच्चों ने अपनी पढ़ाई कर ली उन बच्चों की किताबों को लाइब्रेरी में दान करने की अपील की।
सत्कार समारोह में उपस्थित महाराष्ट्र में प्रथम कक्षा 10 वी में प्रावीण्य प्राप्त दिव्यांग कु. ईशा बिसेन सबके लिए एक मार्गदर्शक रही। सभी बच्चों के सत्कार पूर्व ईशा ने भी अपने विचारों को सबके समक्ष रखा। ईशा ने नेत्र दृष्टि कमजोर होने के बावजूद 10वी में 92.40 प्रतिशत गुण प्राप्त किया। ईशा ने कहा भले ही मैं नेत्र से कमजोर हूँ, पर मेरा विश्वास अटल है। लोग मुझे दिव्यांग कहे इसमे ग्लानि नही अपितु मुझे दिव्य अंग होने की अनुभूति होती है। समारोह में जिले के सभी शिक्षा क्षेत्र में अग्रसर प्रावीण्यता प्राप्त बच्चों का मान्यवरों के हस्ते स्मृति चिन्ह व सर्टिफिकेट देकर उनका सम्मान किया गया और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की गई।
कार्यक्रम का संचालन पत्रकार जावेद खान ने किया वही आभार लाइब्रेरी के सहसचिव हुसैन शेख ने माना।
कार्यक्रम को सफल बनाने में सर्वश्री अब्दुल लतीफ शेख, मिर्जा तालिब बेग, हाजी राशिद शेख, सैय्यद वहाब सर, अनवर खान रिजवी, अब्दुल कादर खान जिलानी, ग्रंथपाल रिजवाना शेख, हाजी फारुख कंडुरेवाला, अब्दुल रहमान खान, शकील अहमद खान, अफजल कुरैशी, गुड्डू हुसैनी, मोहसिन भाई, अहमद भाई, जाकिर भाई, सहित अनेकों ट्रस्ट के पदाधिकारी व सदस्यों ने अथक परिश्रम किया।